फिंगरप्रिंट सेंसर काम कैसे करता है?(हिंदी में)

हेलो दोस्तों मेरा नाम है आशुतोष


दोस्तों क्या आपने हाल ही मैं 7000 या उससे ऊपर का मोबाइल खरीदा है?

तो आपको उस फोन में फिंगरप्रिंट सेंसर जरूर मिला होगा।



दोस्तों आपने कभी सोचा है कि यह फिंगरप्रिंट सेंसर काम कैसे करता है?

इस फिंगर प्रिंट सेंसर के वजह से आपकी प्राइवेसी और सिक्योरिटी दोनों ही बढ़ जाती है।


फिंगरप्रिंट सेंसर दो तरह के होते हैं..

1. ऑप्टिकल टाइप

2. Capacitive type


लेकिन दोनों का काम एक ही होता है कि आप का फिंगरप्रिंट का एक इमेज बनाएं और उसको प्रोसेस करें।

तो चलिए पहले जानते हैं क्या है ऑप्टिकल टाइप..

ऑप्टिकल सेंसर


तो दोस्तों इस टाइप का फिंगरप्रिंट सेंसर आपने कभी देखा ही होगा ATM में ऑफिस में और सब जगह में जहां के पब्लिक लिए काम होता है।

इसके बारे में अगर बोले तो यह एक तरह का कैमरा है, जो कि कुछ तरह का लाइट छोड़कर आपके फिंगरप्रिंट के Ridges और valleys को पहचान के उसका एक इमेज बनाता है और उसके बाद वह इमेज को फिर से वह प्रोसेस करता है।

फिंगरप्रिंट का नमूना

जब यह मशीन लाइट छोड़ता है तो वह हमारे रिजेस और वालिज से टकराकर वापस सेंसर के ऊपर पड़ता है, औरऔर हमारा एक फिंगरप्रिंट का इमेज उस पर बन जाता है।

लेकिन यह सेंसर हमारे फिंगरप्रिंट के इंप्रेशन को अच्छी तरह से पढ़ नहीं पाता, और अगर पानी पाता है तो इसका कुरैशी इतना अच्छा नहीं है।

मैंने जो कि बताया था कि यह एक तरह का कैमरा है तो यह समझ नहीं पाता कि इसके ऊपर जो ऑब्जेक्ट है वह एक रियल फिंगरप्रिंट है या कोई फेक इंप्रेशन।


इस टेक्नोलॉजी के जरिए कोई भी आदमी आपका फिंगरप्रिंट का इंप्रेशन लेकर उसका दुरूपयोग कर सकता है।

तो यह इतना safe नहीं है।


इस कमी को भरने के लिए कैपेसिटीव फिंगरप्रिंट सेंसर का आविष्कार हुआ।


2.कैपेसिटिव सेंसर

तो दोस्तों का इस टाइप का सेंसर वैसे ही काम करता है जिससे कि ऑप्टिकल टाइप सेंसर मतलब एक इमेज बनाता है और उसको प्रोसेस करता है।

लेकिन इसमें कोई लाइट की जरूरत नहीं होती है इसमें इलेक्ट्रिकल इमेज जनरेट होता है।

जो कि आपकी एक्यूरेसी, प्राइवेसी एंड सिक्योरिटी तीनों को बढ़ा देता है।

कैपेसिटिव सेंसर


यह टेक्नोलॉजी आपको आपके मोबाइल में लैपटॉप में और गेम कंसोल सब में मिल जाएगी।

इसमें बहुत छोटे-छोटे सेमीकंडक्टर सर्किट लगा होता है,जो कि हमारा एक ridge के बराबर होता है।

तो इस सेंसर के ऊपर जब हम हमारी उंगली को रखते हैं तो जहां जहां पर भी हमारा ridges पड़ता है तो वह सेमीकंडक्टर इनएक्टिव हो जाता है। इसको साइंटिफिक भाषा में बोलते हैं वोल्टेज ब्रेकडाउन।

(आप नीचे के डायग्राम में अच्छी तरह से देख सकते हैं)

सर्किट डायग्राम

Working mechanism

उसमें एक सेंसर लगा होता है जो कि इस आधार पर एक फिंगरप्रिंट का इमेज बनाता है,

और सिस्टम को भेजकर उसको प्रोसेस करवाता है।


दोस्तों आपके मन में अब सवाल उठा होगा कि विवो दीवाने जो हाल ही में एक फोन लॉन्च किया है उसने स्क्रीन के पीछे यह फिंगरप्रिंट सेंसर को लगवाया है।

तो यह कैसे पॉसिबल हुआ की स्क्रीन के पीछे भी फिंगरप्रिंट सेंसर लगा है।

दोस्तों इस को पॉसिबल क्या है एक कंपनी ने जिसका नाम है synaptics Private Limited।
SYNAPTICS official Logo


Vivo's in-display fingerprint sensor

दोस्तों लेकिन यह टेक्नोलॉजी सब फोन के लिए के लिए नहीं है वही फोन के लिए है जिसमें आपको OLED डिस्प्ले मिल जाती है।

क्योंकि साधारण LCD वाले फोन में उसके पीछे बैकलाइट देना पड़ता है पर OLED वाले फोन में बैक लाइट आपको नहीं देना पड़ता है तो इसीलिए और उसके स्क्रीन के पीछे भी एक फिंगरप्रिंट सेंसर लगा सकते हैं।

लेकिन यह वाला सेंसर ऑप्टिकल टाइप है।

मतलब यह फिंगरप्रिंट सेंसर एक इनविजिबल लाइट को छोड़ता है और हमारे फिंगरप्रिंट के इंप्रेशन से वो टकराकर वापस चला जाता है और हमारा device अनलॉक हो जाता है।

लेकिन यह फिंगर सेंसर कुछ अलग तरह का होता है।

मैंने आपको मेरे पिछले पोस्ट में बताया था कि मोबाइल की स्क्रीन का कैपेसिटिव होता है(ज्यादा जानने के लिए इसमें क्लिक करें)
तो यह सेंसर कैपेसिटीव सेंसर के तरह काम करता है।


मेरा इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए धन्यवाद अगर कुछ और प्रश्न है तो आप मुझे नीचे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।


Comments